Monday, December 23, 2024
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भाजपा और अकाली गठबंधन के लिए कैप्टन के बाद जाखड़ भी राजी, सुखजिंदर रंधावा ने कसा तंज

सेंटर न्यूज़ एक्सप्रेस (देसराज)

भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह के बाद अब प्रदेश भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ भी राजी हैं। जाखड़ ने संकेत दिए हैं कि भाजपा और अकाली दल में लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन हो सकता है। वह खुद चाहते हैं कि दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ें। बता दें कि इनसे पहले कैप्टन अमरेंदर सिंह भी गठबंधन करने करने के हक में बात कर चुके हैं।

NDA में सभी के लिए दरवाजे खुले – जाखड़

सुनील जाखड़ का कहना है कि भाजपा ने गठबंधन को लेकर एनडीए के दरवाजे सभी के लिए खुले रखे हैं। अकाली दल उनका पुराना साथी रहा है। अगर वह लोकसभा चुनाव साथ लड़ने के लिए सहमत है तो भाजपा भी इससे पीछे नहीं है। भाजपा देशहित में काम करती है और यहां भी पंजाब की भलाई के लिए काम किया जाएगा।

सुखजिंदर रंधावा ने कसा तंज

उधर, कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता और डिप्टी सीएम रहे सुखविंदर सिंह रंधावा ने तंज कसा है। कहते हैं कि दोनों ही पार्टियां गठबंधन के लिए तड़प रही हैं। इन दोनों को ही पता है कि इनको एक दूसरे के बगैर पंजाब में कोई आधार नहीं बचा है। 

किसान आंदोलन और सीट शेयरिंग बने थे रोड़ा

पिछले कुछ समय से पंजाब में भाजपा और अकाली दल के गठबंधन होने को लेकर चर्चाएं चल रही थीं। शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल इन संबंध में दिल्ली में भाजपा हाईकमान से भी मुलाकात कर चुके हैं।

राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि पहले गठबंधन के रास्ते में सीट शेयरिंग को लेकर अडंगा रहा। अकाली दल पंजाब में 13 में से 8 सीटों पर चुनाव लड़ने को अड़ा रहा, जबकि भाजपा 6-7 पर अड़ी थी।

अभी बात चल ही रही थी कि किसान आंदोलन फिर से होने के कारण अकाली दल किसानों के हक में उतर आया। इन दोनों कारणों से गठबंधन लटक गया। अब दोबारा से गठबंधन को लेकर दोनों पार्टियों के बीच सहमति बनती नजर आ रही है।

दोनों ही पार्टियों के लिए होगा फायदेमंद

पंजाब में इस समय अकाली दल हाशीए पर आ चुका है। विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की 92 सीटों पर भारी भरकम जीत के बाद अकाली दल को बड़ा झटका लगा था। भाजपा भी बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी।

लोकसभा उप चुनाव में भी भाजपा के उम्मीदवारों को बहुत ज्यादा वोट नहीं मिले थे। दोनों ही पार्टियों को पंजाब में जीत दर्ज करने और अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए एक बार फिर से साथ आना होगा। अगर दोनों पार्टियों का गठबंधन होता है तो इसका फायदा दोनों को ही मिलेगा।

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