Centre News Express (15 MAY)
भारतीय कंपनियों पर साइबर हमले में भले ही सालाना आधार पर गिरावट आई हो, लेकिन इन हमलों से पीड़ित कंपनियों की साइबर सिक्योरिटी लागत और चुकाई गई फिरौती काफी बढ़ गई है। ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी रिसर्च फर्म सोफोस की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 में करीब 64 प्रतिशत भारतीय कंपनियों पर रैनसमवेयर अटैक हुए।
जिनमें से 65 प्रतिशत कंपनियों ने अपने चोरी (हैक) हुए डेटा को वापस पाने के लिए साइबर हमलावरों को फिरौती दी। सोफोस के सर्वेक्षण के मुताबिक, रैनसमवेयर हमलावरों ने इन कंपनियों से औसतन 48 लाख डॉलर फिरौती के रूप में मांगे। 62 प्रतिशत फिरौती की मांगें 10 लाख डॉलर से अधिक की थीं।
सोफोस की ‘भारत में रैनसमवेयर की स्थिति 2024’ रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर हमले से पीड़ित भारतीय कंपनियों ने अपने डेटा को वापस पाने के लिए औसतन 20 लाख डॉलर की फिरौती दी। वर्ष 2022 में 73 प्रतिशत भारतीय कंपनियों पर रैनसमवेयर अटैक हुए थे, जिसकी संख्या 2023 में घटकर 64 प्रतिशत हो गई।
हालांकि, इस दौरान फिरौती की मांग और दी गई रकम में बढ़ोतरी हुई। भारत में 500 कंपनियों पर हुए इस सर्वे में दावा किया गया कि 61 प्रतिशत कंपनियों ने एक हफ्ते के अंदर डेटा रिस्टोर कर लिया। कुल मिलाकर भारतीय कंपनियों का डेटा रिकवरी का औसत खर्च 13.5 लाख डॉलर रहा।
रैनसमवेयर एक तरह का मालवेयर है, जो किसी यूजर या कंपनी के कंप्यूटर सिस्टम में घुसकर यूजर को उनके कंप्यूटर पर फाइलों के एक्सेस करने से रोक देता है। यह मालवेयर कंप्यूटर, नेटवर्क शेयर, बैकअप और सर्वर पर फाइलों को कब्जे में ले लेता है और उन फाइलों को एन्क्रिप्ट करता है। फिर हमलावर फाइलों को अनलॉक करने के लिए यूजर से फिरौती यानी रेंसम की मांग करता है।