Centre News Express (2 AUGUST Desraj)
दिल्ली में मानसिक रूप से बीमार बच्चों के लिए चल रहे सरकारी शेल्टर होम में पिछले महीने अचानक मौतों में इजाफा का मुद्दा गरमा रहा है। दिल्ली सरकार के ‘आशा किरण’ शेल्टर होम में जुलाई में 13 बच्चों की मौत के बाद हड़कंप मचा हुआ है। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने पूरे मामले की मैजिस्ट्रेट जांच और 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
BJP ने इसे लेकर दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है. BJP महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष रेखा गुप्ता ने आरोप लगाया है कि शेल्टर होम में बच्चों को गंदा पानी दिया जा रहा है. उन्हें खाना नहीं दिया जा रहा और न ही इलाज मुहैया कराया जा रहा है। गुप्ता ने जुलाई में 17 बच्चों की मौत का दावा करते हुए आरोप लगाया कि सच छिपाने के लिए शेल्टर होम में किसी को जाने नहीं दिया जा रहा।
किन लापरवाही के कारण हुई मौत? किया जाए स्पष्ट
इसके साख ही मंत्री ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश करने का भी निर्देश दिया, जिनकी लापरवाही के कारण ये मौतें हुई हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सुझावात्मक उपाय सुझाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
किसी को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा-BJP
साल 2024 से अब तक 27 लोगों की मौत हुई है. जुलाई महीने में ही 17 लोगों की मौत हुई है, ऐसा हमारी जानकारी में है। प्रशासन कारण नहीं बता रहा है, SDM जांच में क्या है, हमें नहीं पता, सभी अधिकारी गेट बंद करके बैठे हैं, किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं है। हमें अंदर जाने की इजाजत नहीं है।
बच्चों को मिल रहा गंदा पानी
BJP नेता ने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार बच्चों को गंदा पानी मिल रहा है, उन्हें खाना नहीं मिलता, उन्हें इलाज नहीं मिलता है। इसकी जांच होनी चाहिए और जो भी अधिकारी इसमें शामिल हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
इसलिए हो रही हैं मौतें?
रोहिणी के सेक्टर 3 स्थित आशा किरण होम में मंदबुद्धि बच्चों और बड़ों को रखा जाता है। दावा किया जाता है कि यहां इनकी अच्छे से देखरेख की जाती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में रहस्यमय ढंग से यहां होने वाली मौतें कई सवाल खड़े करती हैं।
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित इस आशा किरण होम में मानसिक रूप से परेशान लोगों की देखरेख ही ठीक से नहीं की जाती। उन्हें सुविधाओं का अभाव रहता है। शायद यही वजह है कि जब यहां के प्रशासन से हमने बात करने की कोशिश की. तो कोई भी बात करने को तैयार नहीं हुआ.सवाल है कि क्या यहां हो रही मौतों को छिपाने की कोशिश हो रही है।
पहले भी हो चुकी हैं यहां मौतें
इससे पहले भी कई बार इसी तरह से मौतें हुई थी, तब खूब हो-हल्ला हुआ था. अधिकारियों पर कार्रवाई हुई थी। पहले एक-दो या फिर ज्यादा से ज्यादा 10 मौतें हुई थी। लेकिन इसबार मामला एक महीने के भीतर 13 मौतों का है। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ना मिलने का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन एसडीएम का भी मानना है कि मौत की वजह खराब पानी हो सकता है। हालांकि, अब आशा किरण होम में व्यवस्था ठीक होनी की बात कही है।
जिस सरकारी संस्थान से उम्मीद की जाती है, कि वो लोगों के कल्याण के लिए काम करेंगे, वहीं इस तरह के घटनाक्रम डरावनी स्थिति पैदा करते हैं। वैसे बच्चों की मौत को लेकर कार्रवाई की बात कही जा रही है, माना की दोषिय़ों पर एक्शन तो होगा, लेकिन जिन बच्चों की मौत लापरवाही की वजह से हुई है। वो तो लौटकर नहीं आ सकते और क्या प्रशासन इस बात की गारंटी दे सकता है कि भविष्य में इस तरह से किसी बच्चे की मौत नहीं होगी।
बच्चों को नहीं मिलती प्रॉपर डाइट’
आशा किरण होम में काम करने वाले एक वर्कर ने बताया, ‘बच्चों को जो पहले सुविधा मिलती थी वह अब सुविधा नहीं मिलती है। अंदर के बहुत बुरे हालात हैं ना ही बच्चों को प्रॉपर डाइट मिलती है। 4 साल पहले तक बच्चों को दूध, अंडा सब मिलता था लेकिन अब सब बंद कर दिया गया। सिर्फ दाल-रोटी मिलती है। अंदर अभी भी कम से कम 20 से 25 बच्चों को TB की बीमारी है।
SDM का बयान
रोहिणी के एसडीएम मनीष वर्मा ने बताया, ‘जैसे ही इसकी खबर आई तो हमने तुरंत तहकीकात शुरू की जो जानकारी आई वो बिल्कुल सत्य है. जो मृत्यु दर है वो पिछले महीनों और पिछले साल की तुलना में ज्याादा हुई है। हमने इसके बारे में जब वहां के देखरेख करने वाले डिप्टी डायरेक्टर से पूछा तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि संख्या ज्यादा है। चूंकि अभी बच्चों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है तो असली कारण क्या है वो नहीं बता पाए। रिपोर्ट आने के बाद वो बताएंगे। हमने उनको सजेस्ट किया है कि वो पानी की जांच करवाएं वाटर फिल्टर बदलवाएं और खाने-पीने को पहले टेस्ट करें उसके बाद ही उन्हें सर्व करें. इन सब चीजों पर उन्होंने गौर किया है और बताया है कि सारे एक्वागार्ड बदल दिए गए हैं।