CENTRE NEWS EXPRESS (28 MARCH DESRAJ)
पंजाब में SGPC ने 1386.47 करोड़ का बजट किया पेश, निहंग जत्थेबंदियां का गोल्डन टेंपल के पास प्रदर्शन, जत्थेदारों को हटाने का विरोध अमृतसर में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) का वार्षिक बजट सत्र आज दोपहर से शुरू हुआ। जिसमें 1386.47 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी गई है। इसी बीच, दमदमी टकसाल के प्रमुख बाबा हरनाम सिंह धूम्मा के नेतृत्व निहंग जत्थेबंदियों ने SGPC मुख्यालय की तरफ कूच शुरू कर दिया है। हरनाम सिंह धूम्मा के अलावा दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भी इसका हिस्सा हैं।
फिलहाल निहंग जत्थेबंदियों को गोल्डन टेंपल की तरफ जाने वाले रास्ते में रोका गया है। जहां स्थिति तनावपूर्ण बन रही है। दमदमी टकसाल का यह विरोध प्रदर्शन एसजीपीसी की कार्यकारिणी द्वारा जत्थेदारों की नियुक्ति और हटाने के हालिया फैसले के खिलाफ हो रहा है। संगठन ने एसजीपीसी से अपने फैसले को वापस लेने की मांग की है।
बाबा हरनाम सिंह धूम्मा ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा कि, एसीजीपीसी ने जिस तरह से जत्थेदारों की नियुक्ति और हटाने का निर्णय लिया है, वह सिख परंपराओं और मर्यादाओं के खिलाफ है। एसजीपीसी को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और सिख संगत की राय को ध्यान में रखना चाहिए।
एसजीपीसी बजट सत्र का एजेंडा
आज होने वाले SGPC बजट सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनमें शामिल हैं:
SGPC के वार्षिक बजट का प्रस्ताव और पास किया जाना।
विभिन्न गुरुद्वारों के विकास और प्रबंधन से जुड़े प्रस्ताव।
सिख शिक्षा और प्रचार के लिए नई योजनाएं।
सिख संगत से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विषय।
SGPC मुख्यालय के बाहर सुरक्षा कड़ी
दमदमी टकसाल के प्रदर्शन को देखते हुए एसजीपीसी मुख्यालय के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस और एसजीपीसी की अपनी टास्क फोर्स को किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैनात किया गया है।
एसजीपीसी के पदाधिकारियों का कहना है कि संस्था अपने संविधान और नियमों के अनुसार ही फैसले लेती है, और जत्थेदारों की नियुक्ति का निर्णय भी इसी प्रक्रिया के तहत लिया गया है।
बीते साल 1260 करोड़ का बजट हुआ था पारित
एसजीपीसी ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 1,260.97 करोड़ रुपए का बजट पारित किया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14% अधिक था। इस बजट में गुरुद्वारों के प्रबंधन, शैक्षणिक संस्थानों और धार्मिक प्रचार गतिविधियों को प्राथमिकता दी गई थी। गुरुद्वारों के रखरखाव और संचालन के लिए 994.51 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, जबकि शैक्षणिक संस्थानों के लिए 251 करोड़ आवंटित किए गए थे।
धार्मिक प्रचार को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई थी, जिसमें सिख धर्म के प्रचार, ऐतिहासिक गुरुपर्वों के आयोजन और संगत को शिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम शामिल था।



