CENTRE NEWS EXPRESS (13 OCTOBER DESRAJ)
हफ्ते की शुरुआत एशियाई बाजारों के लिए बेहद चौंकाने वाली रही. सोमवार सुबह जैसे ही ट्रेडिंग शुरू हुई, बाजारों में गहरी बेचैनी फैल गई. चीन और अमेरिका के बीच फिर से उभरती ट्रेड वार की आशंकाओं ने निवेशकों की सोच पर असर डाला, जिससे अधिकतर एशियाई शेयर सूचकांक लाल निशान में खुले
हालांकि दूसरी ओर, वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स में हल्की तेजी के संकेत मिले हैं, जिससे कुछ राहत की उम्मीद जरूर जगी है, लेकिन सावधानी अभी भी बाजार की प्रमुख भावना बनी हुई है.
क्या है नया ट्रेड टेंशन? (Asian Markets Today)
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिया है कि 1 नवंबर 2025 से चीन पर 100% टैरिफ लगाए जा सकते हैं. इसने बीजिंग और वाशिंगटन के बीच तनाव को फिर से हवा दे दी है.
हालांकि, वीकेंड पर ट्रंप ने अचानक नरम रुख अपनाते हुए कहा, “हम चीन को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, सब कुछ सुलझ जाएगा.” इस बयान ने थोड़ी राहत जरूर दी, लेकिन बाजार अब भी संदेह की स्थिति में है.
चीन ने भी पलटवार करते हुए रेयर अर्थ मटेरियल्स पर लगाए गए अपने निर्यात प्रतिबंधों का बचाव किया है, लेकिन फिलहाल अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक शुल्क नहीं लगाया गया है.
कहां-कहां आई गिरावट? (Asian Markets Today)
- दक्षिण कोरिया के बाजारों में सोमवार को 2.1% की गिरावट आई.
- ऑस्ट्रेलिया का ASX इंडेक्स 0.5% टूट गया.
- जापान के बाहर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख इंडेक्स MSCI Asia ex Japan में 0.6% की गिरावट देखी गई.
जापान का Nikkei इंडेक्स सोमवार को बंद रहा, लेकिन वायदा बाजार में यह 1.3% बढ़कर 46,690 पर ट्रेड कर रहा था. हालांकि यह अब भी अपने पिछले कैश क्लोजिंग लेवल 48,088 से नीचे बना हुआ है.
जापान की राजनीति ने बढ़ाया असमंजस
जापानी राजनीति में नया मोड़ तब आया जब एलडीपी नेता साने ताकाइची के प्रधानमंत्री बनने पर संदेह जताया गया. इस राजनीतिक अनिश्चितता का असर शुक्रवार को जापानी येन पर पड़ा, जिसकी वैल्यू में तेज उछाल आया. इसके चलते Nikkei फ्यूचर्स में 5% तक की गिरावट देखने को मिली.
वॉल स्ट्रीट की वापसी की कोशिश (Asian Markets Today)
जहां एशिया में चिंता छाई रही, वहीं अमेरिका के फ्यूचर बाजारों ने कुछ हद तक हिम्मत दिखाई.
- S&P 500 Futures में 1.1% की तेजी.
- Nasdaq Futures में 1.6% की उछाल.
गोल्डमैन सैक्स के चीफ इकनॉमिस्ट जान हेट्जियस का कहना है कि दोनों देश किसी भी बड़े फैसले से पहले 10 नवंबर तक टैरिफ रोक को बढ़ा सकते हैं. साथ ही कुछ सीमित स्तर पर रियायतें भी दी जा सकती हैं.



