CENTRE NEWS EXPRESS (20 NOVEMBER DESRAJ)
फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. लाल किला बम धमाके की जांच के बीच अल फलाह मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सभी सीटें भर गई हैं. अल फलाह यूनिवर्सिटी दिल्ली में हुए लाल किला विस्फोट (Red Fort Blast) मामले की जांच के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की गहन निगरानी के दायरे में है. जांच में सामने आया है कि इस विस्फोट के मुख्य संदिग्धों में यूनिवर्सिटी के कुछ फैकल्टी सदस्य और छात्र भी शामिल थे.
विस्फोट की जांच के दौरान नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और अन्य नियामक संस्थाओं की कड़ी नजर के बावजूद अल फलाह यूनिवर्सिटी का एमबीबीएस सीटों को पूरी तरह से भर लेना चौंकाने वाला है. कुछ सीटें तो एनआरआई कोटे के तहत कम स्कोर (155) पर भी आवंटित की गईं. इससे पता चलता है कि संस्थान में दाखिले के लिए छात्रों की दिलचस्पी अभी भी बरकरार है. यह खबर यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक दावे और सुरक्षा/वित्तीय जांच के बीच एक अजीब विरोधाभास पेश करती है।
विस्फोट जांच में अल फलाह का कनेक्शन
10 नवंबर, 2025 को लाल किले के पास हुए कार विस्फोट में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले की जांच में अल फलाह मेडिकल कॉलेज का नाम प्रमुखता से सामने आया है. विस्फोट को अंजाम देने वाले कथित ड्राइवर डॉ. उमर उन नबी और फरीदाबाद में भारी मात्रा में विस्फोटक मिलने के मामले के मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल गनई, दोनों ही इस संस्थान से जुड़े थे. दिल्ली पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि विस्फोट के लिए इस्तेमाल की गई गाड़ी लगभग 20 दिनों तक यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर खड़ी थी।
यूनिवर्सिटी के चेयरमैन गिरफ्तार
दिल्ली धमाका मामले में आतंक की नर्सरी साबित हुई अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 19 लोगों को दिल्ली में ED ने छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से ED ने 48 लाख से ज्यादा नकद और कई इलेक्ट्रॉनिक समान जब्त किया है. इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी को भी गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ़्तारी मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत हुई है।
यूनिवर्सिटी की साख पर सवाल
अल फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से फैकल्टी सदस्यों के आतंकी लिंक और उसके चेयरमैन की गिरफ्तारी के कारण इसकी साख पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. हालांकि, यूनिवर्सिटी ने ‘स्ट्रे राउंड’ काउंसलिंग के दौरान 15 सीटों को भरते हुए अपनी एमबीबीएस सीटों को शत-प्रतिशत भर लिया है. इससे पता चलता है कि गंभीर विवादों के बावजूद कुछ छात्रों की दिलचस्पी इस संस्थान में बनी हुई है, भले ही इसके पीछे की वजह सीटों की कमी या कोटे में अंकों का कम होना हो.



