CENTRE NEWS EXPRESS (11 JUNE DESRAJ)
लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) के दौरान पूरी तरह शांत रहने वाले आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने मोदी सरकार (Modi government) बनने के बाद चुनाव परिणाम पर सोमवार को पहली अपना मुंह पहली बार खोला। इस दौरान मोहन भागवत ने कुछ ऐसा कहा कि बीजेपी खेमे के अंदर खलबली मच गई। भागवत ने कई मुद्दों को लेकर मोदी सरकार को आईना दिखाया। साथ ही मणिपुर हिंसा पर भी पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी। वहीं भागवत के इस बायन के बाद राजनीति पंडितों का मानना है कि कहीं ये BJP-RSS में पड़ने वाली दरार की शुरुआत तो नहीं है।
लोकसभा चुनाव और मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह संपन्न होने के एक दिन के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सभी धर्मों को लेकर बड़ा बयान दिया है। साथ ही उन्होंने कई मुद्दों पर नेताओं को नसीहत दी है।
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय समापन समारोह को संबोधित करने के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना है। सभी की पूजा का सम्मान करना है, ये मान कर चलना है कि हमारे जैसा उनका धर्म भी सच्चा है। उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र की एक अनिवार्य प्रक्रिया है। इसमें दो पक्ष होने के कारण प्रतिस्पर्धा होती है। चूंकि यह एक प्रतिस्पर्धा है, इसलिए खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है, लेकिन इसमें एक गरिमा होती है। झूठ का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने आगे कहा कि चूंकी जनता संसद में जाने और देश चलाने के लिए लोगों को चुनती है। लिहाजा वे सहमति बनाकर ऐसा करेंगे, यह प्रतिस्पर्धा कोई युद्ध नहीं है। एक-दूसरे की जिस तरह की आलोचना की गई, जिस तरह से अभियान चलाने से समाज में मतभेद पैदा होगा और विभाजन होगा। इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आरएसएस जैसे संगठनों को भी इसमें बेवजह घसीटा गया।
मोदी सरकार को दिखाया आईना
भागवत ने कहा कि तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया, झूठ को प्रचारित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ऐसा देश कैसे चलेगा? विपक्ष को विरोधी नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि वे विपक्ष हैं और एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है, उस गरिमा का ख्याल नहीं रखा गया. ऐसा करना जरूरी है क्योंकि हमारे देश के सामने चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं।
मणिपुर हिंसा पर तोड़ी चुप्पी
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर भी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति की राह देख रहा है। प्राथमिकता के साथ उसका विचार करना होगा। मणिपुर राज्य पिछले 10 साल शांत रहा, लेकिन अचानक से गन कल्चर फिर से बढ़ा, जो कलह वहां पर हुई। उसपर प्राथमिकता देकर विचार करना जरूरी है।



