CENTRE NEWS EXPRESS (3 JANUARY) DESRAJ
बसंत पंचमी के अवसर पर महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान सोमवार (3 फरवरी) को शुरू हो गया है। नागा साधुओं ने पारंपरिक हथियारों, तलवार, गदा और शंख के साथ भव्य शोभा यात्रा निकाली। हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा। संगम तट पर नागा साधुओं ने सबसे पहले डुबकी लगाई। इसके बाद महानिर्वाणी और निरंजनी अखाड़े ने स्नान किया। इस दौरान श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। महाकुंभ का यह स्नान धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। यहां पढें लाइव अपडेट्स।
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- नागा साधुओं की परंपरागत झलक ने मोहा मन
महाकुंभ के तीसरे अमृत स्नान में नागा साधुओं का नजारा देखते ही बनता था। सिर पर भभूत, हाथों में त्रिशूल और तलवार, आंखों पर काला चश्मा, रथों और घोड़ों पर सवार संतों का यह भव्य रूप श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा। पंचायती निरंजनी अखाड़े के साधुओं ने सबसे पहले स्नान किया। फिर जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा संगम तट पहुंचे। इनके स्नान के बाद अन्य 13 अखाड़े बारी-बारी से संगम में डुबकी लगा रहे हैं। श्रद्धालु साधुओं का आशीर्वाद लेने के लिए उमड़ पड़े, कई लोग उनके चरणों की रज तक माथे पर लगा रहे थे।
बसंत पंचमी पर ‘अमृत स्नान’ के बाद, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के स्वामी भावेंद्र गिरि ने कहा कि मैं बसंत पंचमी के अवसर पर त्रिवेणी संगम से आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। त्रिवेणी संगम के लिए देव भी तरसते हैं कि कब हमें नर का रूप मिले। यह नारायण से नर की नारायण की यात्रा है। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया तो यह सृष्टि नीरस थी। इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल के जल की पांच बूंदें निकाली जिससे मां सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ और उनकी वीणा के झंकार से यह पूरा सृष्टि झंकृत हो गया। यह बहुत पवित्र स्थान है क्योंकि यहां पवित्र संगम है तीन नदियों – गंगा, यमुना और सरस्वती से मैंने विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की। बसंत पंचमी पर इस त्रिवेणी संगम पर स्नान कर हम सभी संत अभिभूत हैं।



