Centre News Express (Desraj)
जगजीत सिंह को बचपन से ही संगीत में रुचि थी। उन्होंने संगीत की शिक्षा उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से प्राप्त की। प्राथमिक शिक्षा के बाद वे पढ़ने के लिए जालंधर आ गये। डीएवी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और फिर कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। आज गजल सम्राट जगजीत सिंह की जयंती है। उन्होंने अपनी आवाज से कई पीढ़ियों के संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया है।
जगजीत सिंह को ग़ज़ल का बादशाह भी माना जाता है। लोगों का मानना है कि शायद ही कोई ऐसा हो जिसे उनकी ग़ज़लें पसंद न हों. आज भी उनकी गजलों को सुनकर फैंस उन्हें जरूर याद करते हैं. जगजीत सिंह की ग़ज़लों का कमल आज भी इस दुनिया में दिखाई देता है, भारत के ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह के जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जब वह संगीत प्रेमियों और संगीत की दुनिया से दूर हो गए। आइए जानते हैं कि आखिर क्या वजह थी जिसके चलते जगजीत सिंह को इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा।
गजल सम्राट जगजीत सिंह ने साल 1980 में अपने इकलौते बेटे विवेक सिंह को खो दिया था। जगजीत सिंह के बेटे विवेक सिंह की महज 18 साल की उम्र में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। उस शाम वह एक महफिल में गजल गा रहे थे।
महफ़िल अपने अंतिम चरण में थी जब अभिनेत्री अंजू महेंद्रू ने जगजीत सिंह से ग़ज़ल ‘दर्द से मेरा दामन भर दे’ गाने का अनुरोध किया। इस गजल को गाते हुए वह रो पड़े।
ग़ज़ल पूरी करने के बाद उन्हें अपने बेटे के एक्सीडेंट की खबर मिली. अपने जवान बेटे की मौत से जगजीत और चित्रा को इतना सदमा लगा कि जगजीत सिंह कुछ महीनों तक संगीत की दुनिया से दूर रहे। जगजीत सिंह की पत्नी चित्रा ने भी संगीत की दुनिया से संन्यास ले लिया था। बेटे विवेक सिंह की मौत के बाद जब जगजीत सिंह गजल गायकी की दुनिया में लौटे तो उनकी आवाज में किसी को खोने का दर्द साफ झलक रहा था। जवान बेटे को खोने का दर्द माता-पिता के लिए दुनिया का सबसे बड़ा दुख होता है।