CENTRE NEWS EXPRESS (21 AUGUST DESRAJ)
टैरिफ को लेकर अमेरिका से बढ़ती दूरी के बीच भारत और चीन नजदीक आ गए हैं। भारत और चीन ने लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) के जरिए फिर से व्यापार शुरू करने पर सहमति जताई है। वहीं इस फैसले पर नेपाल आगबबूला हो गया है। नेपाल ने भारत को आंख दिखाते हुए लिपुलेख दर्रे के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई। इसपर भारत ने करारा जवाब देते हुए उसे इतिहास याद दिलाया।
बता दें कि 18 और 19 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौर के दौरान भारत और चीन ने लिपुलेख दर्रे के जरिए फिर से व्यापार शुरू करने पर सहमति जताई। शिपकी ला और नाथु ला दर्रों से भी ट्रेड शुरू होगा। इसे लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई है। नेपाल की आपत्ति का भारत ने भी करारा जवाब दिया है।
नेपाल ने बुधवार (20 अगस्त) को कहा कि यह क्षेत्र उसका अविभाज्य हिस्सा है और इसे उसके ऑफिशियल मैप में भी शामिल किया गया है। नेपाली विदेश मंत्रालय ने कहा, ”नेपाल सरकार का स्पष्ट मत है कि महाकाली नदी के पूर्व में स्थित लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के अविभाज्य अंग हैं। इन्हें आधिकारिक तौर पर नेपाली मैप में भी दर्ज किया गया है और संविधान में भी शामिल किया गया है।
नेपाल सरकार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों तथा साक्ष्यों पर आधारित हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ”लिपुलेख दर्रे के जरिए भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार 1954 में शुरू हुआ था और दशकों तक जारी रहा है। हाल के वर्षों में कोरोना और अन्य घटनाओं के कारण व्यापार में रुकावट आई थी। अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं।
नेपाल के विदेश मंत्रालय का बयान भारत और चीन द्वारा लिपुलेख के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने की घोषणा के संबंध में नेपाली मीडिया द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में आया है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल सरकार का स्पष्ट मानना है कि महाकाली नदी के पूर्व में स्थित लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के अविभाज्य अंग हैं। इन्हें आधिकारिक तौर पर नेपाली मानचित्र में भी शामिल किया गया है और संविधान में भी शामिल किया गया है।



