CENTRE NEWS EXPRESS (20 OCTOBER DESRAJ)
दिवाली रोशनी, मिठास, रिश्तों और समृद्धि का पर्व है। दिवाली पर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर दीपक जलाकर रोशनी करते हैं। एक दूसरे का मुंह मीठा कराते हैं और लक्ष्मी गणेश की पूजा करके सुख समृद्धि का आह्वान करते हैं। दिवाली पर हर्षोल्लास के लिए लोग आतिशबाजी भी करते हैं। लेकिन पटाखों का धुआं, प्लास्टिक डेकोरेशन और केमिकल रंगों ने इस पावन त्योहार को प्रदूषण से भर दिया है।

आतिशबाजी के शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है। दीपावली के बाद वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाता है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। साथ ही त्योहार पर प्लास्टिक और पाॅलिथीन के उपयोग बढ़ने से भी वातावरण दूषित होता है। ऐसें में समय आ गया है कि त्योहार को ‘ग्रीन दिवाली’ यानी इको-फ्रेंडली दिवाली के रूप में मनाएं ताकि खुशियां भी मना सकें और वातावरण भी सुरक्षित रहे। इसका अर्थ ये बिल्कुल नहीं कि आप दिवाली की रोशक को कम कर दें। बस कुछ छोटे -छोटे प्रयास से दिवाली के शोर और धुएं की जगह हरियाली, शांति और मुस्कुराहट की रोशनी जा सकते हैं और इको फ्रेंडली दिवाली मना सकते हैं।
मिट्टी के दीये जलाएं, बिजली के बल्ब नहीं
मिट्टी के दीये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि वे स्थानीय कुम्हारों की आजीविका को भी बढ़ावा देते हैं। देसी घी या सरसों के तेल से दीये जलाना पवित्र और ऊर्जा संतुलित माना गया है।
पटाखों के बजाय फूलों और संगीत से मनाएं उत्सव
क्रैकर्स के धुएं से हवा और बच्चों दोनों को नुकसान होता है। उनकी जगह फूल, रंगोली और भजन-संगीत से माहौल सजाएं। इससे दिल भी खिलेगा और प्रदूषण भी नहीं फैलेगा।
नेचुरल सजावट अपनाएं
प्लास्टिक डेकोर की जगह पेपर, जूट, कपड़े या फूलों से बनी सजावट करें। तुलसी, मनी प्लांट या बांस जैसे पौधे घर के प्रवेश द्वार पर रखें। ये शुभता और ऑक्सीजन दोनों बढ़ाते हैं।
घर की सफाई में केमिकल्स नहीं, प्राकृतिक उपाय
नींबू, सिरका, बेकिंग सोडा या नीम के पानी से घर की सफाई करें। इससे विषैले रसायनों से दूरी रहेगी और वातावरण शुद्ध रहेगा।
मिठाई और गिफ्ट में अपनाएं देसी विकल्प
प्लास्टिक पैक्ड मिठाई के बजाय घर की बनी गुड़, नारियल या ओट्स की स्वीट्स दें। गिफ्ट में पौधे, हैंडमेड कैंडल्स या मिट्टी के बर्तन दें। ये ‘ग्रीन गिफ्टिंग’ ट्रेंड सबसे अर्थपूर्ण और सस्टेनेबल तरीका है।



