सेंटर न्यूज एक्सप्रेस (देसराज)
मंत्री और विधायकों की नाराजगी के बीच हिमाचल के CM सुखविंदर सुक्खू ने कहा है कि उन्होंने कोई इस्तीफा नहीं दिया। उनके पास बहुमत है। सरकार पांच साल चलेगी। इससे पहले खबर आई थी कि सुक्खू ने इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस ऑब्जर्वर्स भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को हुई क्रॉस वोटिंग के बाद हालात संभालने हिमाचल पहुंचे हैं।
भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने दावा किया था कि सुक्खू ने इस्तीफा दे दिया है।
इससे पहले राज्यसभा चुनाव के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार खतरे में आ गई है। एक राज्यसभा सीट के लिए मंगलवार को चुनाव में कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी।हिमाचल के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर बुधवार सुबह को गवर्नर शिव प्रताप शुक्ला से मिलने पहुंचे। ठाकुर ने फ्लोर टेस्ट की मांग की है। अगर गवर्नर विपक्ष की मांग पर बहुमत साबित करने को कहते हैं तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू मुश्किल में पड़ सकते हैं।
वहीं स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने विपक्ष के 14 विधायकों को निष्कासित कर दिया है।
वहीं हिमाचल की कांग्रेस सरकार संकट में दिख रही है। राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के अगले दिन यानी आज पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने सुक्खू सरकार से नाराजगी जताई और कहा मुझे अपमानित किया गया। विधायकों को नजरंदाज किया गया, जिसका नतीजा कल दिखाई दिया। मैं आने वाले कुछ दिनों में हालात देखकर फैसला लूंगा। अब गेंद आलाकमान के पाले में है।
सुक्खू को CM पद से हटाने को कहा
क्रॉस वोटिंग करने वाले एक विधायक राजेंद्र राणा ने कांग्रेस हाईकमान से सुक्खू को CM पद से हटाने की मांग की है। कहा है कि अगर ऐसा होता है तो वे वापस आ सकते हैं।
इससे पहले हिमाचल के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर बुधवार को गवर्नर शिव प्रताप शुक्ला से मिलने पहुंचे। ठाकुर ने फ्लोर टेस्ट की मांग की है। अगर गवर्नर विपक्ष की मांग पर बहुमत साबित करने को कहते हैं तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू मुश्किल में पड़ सकते हैं।
क्रॉस वोटिंग करने वाले एक विधायक ने कांग्रेस हाईकमान से सुक्खू को CM पद से हटाने की मांग की है। अगर ऐसा होता है तो वे वापस आ सकते हैं। सरकार गिरने के खतरे के बीच हालात संभालने के लिए कांग्रेस ऑब्जर्वर हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार शिमला पहुंच चुके हैं। इसी बीच हिमाचल सरकार में मंत्री विक्रमादित्य ने इस्तीफा दे दिया है। वह हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे हैं।
हिमाचल की मौजूदा तस्वीर
हिमाचल में 68 सीटें हैं और बहुमत 35। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 और भाजपा को 25 सीटें मिली थीं। 3 निर्दलीय विधायक जीते। अब 6 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग भाजपा के पक्ष में हुई है। अगर वे पाला बदलते हैं तो सुक्खू सरकार के पास 34 सीटें बचेंगी, यानी बहुमत से एक कम।
कांग्रेस के पास क्या रास्ता है?
कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत एंटी डिफेक्शन लॉ से मिल जाएगी। जिसके तहत क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार के खिलाफ वोट नहीं डाल पाएंगे। इस लॉ के मुताबिक एक पार्टी का विधायक दूसरे दल को वोट नहीं दे सकता है। अगर वोट देता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है। ये लॉ राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में लागू नहीं होता है।
क्या सुक्खू का CM पद जा सकता है?
कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री सुक्खू को पद से हटाने की मांग की है। राणा ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल को फोन करके कहा कि उन्हें कांग्रेस से कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से है। राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री को हटाया जाता है तो वे वापस आने को तैयार हैं। डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री और PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार माने जा रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने क्या कदम उठाया?
हिमाचल को लेकर कांग्रेस हाईकमान एक्टिव हो गई है। हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार को संकट सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई है। दोनों नेता आज शिमला पहुंच सकते हैं। हिमाचल DGP ने शिमला में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। दूसरे जिलों से रिजर्व बटालियन बुलाई है।
खेल क्यों पलटा?
हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट अप्रैल में BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पूरा होने के कारण खाली हो रही है। यहां राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए कम से कम 35 विधायकों के वोट जरूरी हैं। विधानसभा में कांग्रैस को बहुमत है इसलिए वो राज्यसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को कैंडिडेट बनाया। बहुमत से 10 सीट कम यानी 25 विधायकों वाली भाजपा ने वीरभद्र सिंह के करीबी और कांग्रेस छोड़कर आए हर्ष महाजन को मैदान में उतारा और चुनाव जीत गए।