Centre News Express (Desraj)
कथित शराब घोटाले ने मनीष सिसोदिया, संजय सिंह के बाद ना सिर्फ अरविंद केजरीवाल को मुश्किल() में डाल दिया है, बल्कि आम आदमी पार्टी ) संकट में घिर गई है। कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ केस में ईडी ने आम आदमी पार्टी की तुलना एक ‘कंपनी’ से की है तो राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को इसका डायरेक्टर/CEO बताया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को केजरीवाल की रिमांड मांगते हुए स्पेशल कोर्ट में कहा, ‘इस तरीके से आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया और इसलिए प्रिवेंसन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) की धारा 70 के तहत मामला बनता है।’ पीएमएलए की यह धारा कंपनियों से संबंधित मामलों में लगाई जाती है। एजेंसी का कहना है कि ‘कंपनी’ का मतलब किसी भी कॉर्पोरेट, फर्म या ऐसे किसी भी व्यक्तियों के समूह वाले संगठन से है।
ईडी ने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी की बड़ी गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। वह संस्थापक सदस्य हैं और नीति निर्माण में शामिल हैं। वह रिश्वत की मांग में भी शामिल हैं। पीएमएलए के तहत अपराध के वक्त ‘कंपनी’ जोकि AAP है के प्रभारी और कामकाज के लिए जिम्मेदार थे।’ एजेंसी का कहना है कि शराब घोटाले से मिली रकम का इस्तेमाल पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए किया गया। एजेंसी ने दावा किया कि 45 करोड़ रुपए हवाला के जरिए गोवा में प्रचार के लिए भेजे गए थे।
एजेंसी का कहना है कि इस तरह केजरीवाल और आम आदमी पार्टी दोनों पर पीएमएल की धारा-70 के तहत केस बनता है। यह पहली बार है जब पीएमएलए केस में किसी राजनीतिक दल को शामिल बताया गया है। जानकारों का कहना है कि ईडी के ताजा रुख से आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है। पार्टी के दफ्तर को जब्त किया जा सकता है। यदि ईडी की ओर से लगाए गए आरोप सच पाए जाते हैं तो चुनाव आयोग की ओर से पार्टी की मान्यता तक रद्द की जा सकती है। हालांकि, अभी ईडी ने ‘आप’ के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया है। पार्टी के भविष्य का फैसला आने वाले समय में अदालती फैसलों पर निर्भर करेगा।