Monday, December 15, 2025
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असम खदान हादसा: कोयला निकालने उतरे 9 मजदूर फंसे, 48 घंटे बाद एक का मिला शव; आर्मी-नेवी का रेस्क्यू जारी

CENTRE NEWS EXPRESS (8 JANUARY) DESRAJ

असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 6 जनवरी को एक बड़ा हादसा हुआ। 300 फीट गहरी कोयला खदान में अचानक पानी भर गया, जिससे 9 मजदूर फंस गए। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बुधवार (8 जनवरी) को एक मजदूर का शव निकाला गया है, जबकि 8 मजदूर अभी भी लापता हैं। भारतीय सेना, नेवी, NDRF और SDRF की टीमें बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। हादसे के बाद से खदान में फंसे मजदूरों की हालत को लेकर उनके परिवार के लोग चिंतित हैं। 

नेवी और सेना ने संभाला मोर्चा, क्रेन और ट्रॉली का सहारा
रेस्क्यू अभियान में भारतीय नेवी के गोताखोरों को खदान के अंदर भेजा गया है। गोताखोरों को क्रेन और ट्रॉली की मदद से पानी भरे हिस्से में उतारा गया। खदान में करीब 100 फीट तक पानी भर चुका है। इसे निकालने के लिए ओएनजीसी ने विशेष पंप उपलब्ध कराए हैं। सेना और असम राइफल्स ने घटनास्थल पर अस्थायी टेंट लगाए हैं। वहां से रेस्क्यू का संचालन हो रहा है। कोल इंडिया की टीम भी बुधवार से अभियान में शामिल होगी।  

फंसे मजदूरों के नाम जारी, हर दिशा में खोज जारी
फंसे मजदूरों में गंगा बहादुर श्रेठ (नेपाल), हुसैन अली, जाकिर हुसैन, मुस्तफा शेख (असम), खुसी मोहन राय, सर्पा बर्मन (कोकराझार), संजीत सरकार (पश्चिम बंगाल), लिजान मगर और सरत गोयारी शामिल हैं। इन मजदूरों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। दीमा हसाओ के एसपी मयंक झा ने बताया कि इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम और माइनिंग एक्सपर्ट की टीम मिलकर काम कर रही है।  

प्रत्यक्षदर्शियों का बयान: अचानक भरा पानी, कोई मौका नहीं मिला
हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मजदूर हमेशा की तरह काम कर रहे थे, तभी अचानक खदान में पानी भर गया। पानी इतनी तेजी से आया कि किसी को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला। खदान मालिक पुनीश नुनिसा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ऐसा संदेह है कि रैट होल माइनिंग  के चलते यह हादसा हुआ। खदान तक पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय हाफलोंग से 7 घंटे का सफर तय करना पड़ता है।  

रैट माइनिंग पर फिर सवाल, NGT ने 2014 में लगाया था बैन
रैट माइनिंग, यानी चूहे की तरह सुरंग बनाकर कोयला निकालना, बेहद खतरनाक है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और नार्थईस्ट के राज्यों में यह तकनीक बेहद प्रचलित है। हालांकि, 2014 में NGT ने इसे अवैज्ञानिक और जानलेवा मानते हुए बैन कर दिया था। इसके बावजूद अवैध खदानों में इस प्रक्रिया का इस्तेमाल हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी खदानों में सुरक्षा के पर्याप्त उपाय नहीं होते।  

2018 में भी हुआ था ऐसा ही हादसा, 15 मजदूर मारे गए थे
यह हादसा 2018 में मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स में हुए एक हादसे की याद दिलाता है। वहां 370 फीट गहरी खदान में पानी भरने से 15 मजदूरों की मौत हो गई थी। केवल 5 मजदूर ही बचाए जा सके थे। असम का यह हादसा फिर से रैट माइनिंग की खतरनाक प्रकृति को उजागर करता है। स्थानीय प्रशासन और सरकार को इस पर सख्ती से कार्रवाई करनी होगी।

ViaCNE
SourceCNE
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