Monday, December 15, 2025
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ईडी की कांग्रेसी सांसद व तीन विधायकों पर कार्रवाई

CENTRE NEWS EXPRESS (11 JUNE DESRAJ)

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कर्नाटक के बेल्लारी और बेंगलुरु में आदिवासी कल्याण (Karnataka Tribal Welfare Board Scam) से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कई स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई महर्षि वाल्मीकि जनजाति कल्याण बोर्ड से जुड़े एक बड़े घोटाले की जांच के अंतर्गत की गई है। छापेमारी का केंद्र कुछ कांग्रेस नेताओं और उनके सहयोगियों के ठिकाने रहे। जिन नेताओं के परिसरों पर कार्रवाई हुई उनमें कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम, विधायक ना. रा. भरत रेड्डी, जे. एन. गणेश उर्फ कांपली गणेश और पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र शामिल हैं। इसके अतिरिक्त बी. नागेंद्र के निजी सहायक गोवर्धन के निवास पर भी तलाशी ली गई। 

ईडी की लगभग 15 सदस्यीय टीम ने बुधवार की सुबह से एक साथ आठ स्थानों पर छापेमारी शुरू की, जिनमें पांच बेल्लारी और तीन बेंगलुरु में स्थित हैं। बताया गया है कि पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र के बेंगलुरु स्थित कार्यालय पर भी तलाशी अभियान चलाया गया। हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम की आधिकारिक पुष्टि ईडी द्वारा अभी नहीं की गई है। पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र को पहले भी इस घोटाले में गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि नागेंद्र को फिर से मंत्री बनाए जाने के विषय पर पुनर्विचार किया जाएगा।

ईडी की जांच में बी. नागेंद्र मुख्य आरोपी

बी. नागेंद्र को 12 जुलाई 2024 को ईडी ने हिरासत में लिया था। उन्हें करीब तीन महीने तक जेल में रहना पड़ा, जिसके बाद वे जमानत पर रिहा हुए। नागेंद्र ने आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित थी और ईडी ने उन्हें जानबूझकर परेशान किया। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। भाजपा की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि इस घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की भूमिका भी संदिग्ध है। आरोप है कि उनके वित्त विभाग ने 89.6 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी को मंजूरी दी। भाजपा का दावा है कि यह घोटाला कुल 187 करोड़ रुपये तक का है।

ईडी की जांच में बी. नागेंद्र को मुख्य आरोपी बताया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सत्यनारायण वर्मा, एताकारी सत्यनारायण, जे. जी. पद्मनाभ, नागेश्वर राव, नेकुंती नागराज और विजय कुमार गौड़ा सहित 24 अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर यह योजना बनाई और क्रियान्वित की। आरोपों के अनुसार, निगम के खातों से करोड़ों रुपये आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के फर्जी खातों में भेजे गए और बाद में धनशोधन किया गया।

घटना की गंभीरता तब और बढ़ गई जब आदिवासी कल्याण बोर्ड के लेखा अधिकारी पी. चंद्रशेखरन ने आत्महत्या कर ली। उनके द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में इस घोटाले और उसे छिपाने के प्रयासों का विस्तार से उल्लेख था। उन्होंने लिखा कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी और एक मंत्री उन पर दबाव बना रहे थे। नोट में इस मंत्री को उनकी मौत के लिए जिम्मेदार भी ठहराया गया है। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बी. नागेंद्र को क्लीन चिट दे दी थी और उन्हें चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया। ईडी की जांच, कर्नाटक पुलिस और सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित है।

ViaCNE
SourceCNE
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