Monday, December 15, 2025
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दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम के लिए सुप्रीम कोर्ट ने DDA को दिया आदेश, कहा- मार्च 2026 तक 1.67 लाख पेड़ लगाएं

CENTRE NEWS EXPRESS (4 NOVEMBER DESRAJ)

दिल्ली की हवा को फिर से स्वच्छ और हरा-भरा बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को आदेश दिया कि वह शहर के 18 विभिन्न इलाकों में कुल 185 एकड़ भूमि तत्काल उपलब्ध कराए। इसके साथ ही 31 मार्च 2026 तक 1.67 लाख पेड़ लगाने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश छतरपुर रिज क्षेत्र में डीडीए द्वारा काटे गए एक हजार से अधिक पेड़ों की भरपाई के रूप में दिया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि दिल्ली के हरे फेफड़ों (Green Lungs) को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

फरवरी 2024 में डीडीए ने हॉस्पिटल रोड निर्माण के लिए छतरपुर रिज क्षेत्र में पेड़ काट दिए थे। बिंदु कपूरिया की ओर से दायर याचिका में शिकायत की गई कि यह कटाई बिना न्यायालय की अनुमति के की गई, जबकि 1996 के एम.सी. मेहता फैसले के अनुसार रिज क्षेत्र में किसी भी पेड़ की कटाई के लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य है। मामले की सुनवाई के दौरान ज्ञात हुआ कि उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को इस अवैध कटाई की जानकारी जून में मिली थी। अदालत ने माना कि सड़क निर्माण जनहित में था, इसलिए अवमानना की सजा को माफ किया गया, लेकिन डीडीए को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा गया कि भविष्य में ऐसी किसी भी फाइल पर संबंधित कोर्ट केस का स्पष्ट उल्लेख करना अनिवार्य होगा।

18 इलाकों से मिलेगी पूरे शहर में ऑक्सीजन

एक ही स्थान पर 185 एकड़ जमीन उपलब्ध कराना व्यावहारिक नहीं था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने 18 अलग-अलग इलाकों में छोटे-छोटे ग्रीन पॉकेट्स विकसित करने की मंजूरी दी। विशेषज्ञ समिति ने पहले प्रस्तावित स्थलों को अनुपयुक्त मानते हुए नई साइटों का चयन किया। चूंकि सर्दियों में पौधारोपण नहीं किया जा सकता, इसलिए वन विभाग को पौधे लगाने के लिए मार्च 2026 तक का समय दिया गया है। डीडीए द्वारा अफ़ॉरेस्टेशन कार्य के लिए 46.13 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल पेड़ लगाना पर्याप्त नहीं होगा। प्रत्येक चयनित स्थल पर पक्की परिधि-दीवार बनाई जाएगी, ताकि हरित क्षेत्र को किसी प्रकार की क्षति न हो। सभी जगहों पर केवल देशी प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे, जिनका चयन और रखरखाव का विस्तृत खाका विशेषज्ञ समिति ने तैयार कर लिया है। अदालत ने निर्देश दिया कि हर छह महीने में पौधारोपण और संरक्षण कार्य की फोटो-वीडियो रिपोर्ट जमा की जाए। साथ ही सभी 18 स्थलों के भूमि उपयोग को आधिकारिक रूप से फॉरेस्ट श्रेणी में बदला जाएगा। पौधारोपण पूरा होते ही समिति नई संभावित साइट्स भी सुझाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला बंद नहीं किया जा रहा है. डीडीए और दिल्ली सरकार को हर चरण पर जवाबदेही निभानी होगी। विशेषज्ञ समिति की स्वतंत्र रिपोर्टिंग के साथ शहर में हरियाली बढ़ाने की प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी।

ViaCNE
SourceCNE
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