CENTRE NEWS EXPRESS (6 NOVEMBER DESRAJ)
पंजाब में मार्च 2022 से अब तक, राज्य सरकार ने सड़कों पर चल रही “खुली लूट” को समाप्त करते हुए कुल 19 टोल प्लाजा को सफलतापूर्वक बंद कर दिया है। यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह आम लोगों की जेब पर पड़ने वाले अनावश्यक बोझ को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है।
इस बड़े बदलाव की शुरुआत 2022 में ही हो गई थी, जब सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि अब “लूट का दौर” खत्म हो गया है। 4 सितंबर 2022 को संगरूर-लुधियाना रोड पर लड्डा और अहमदगढ़ टोल प्लाजा को बंद कर दिया गया। ऑपरेटर ने कोविड और किसान आंदोलन का हवाला देकर 50 करोड़ का मुआवजा या विस्तार मांगा, जिसे मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह एक वैश्विक आपदा थी और इसका बोझ जनता पर नहीं डाला जा सकता। इसके बाद, 15 दिसंबर 2022 को होशियारपुर-टांडा रोड पर लछोवाल टोल प्लाजा को बंद करना एक बड़ा कदम था। यहाँ सरकार ने न केवल विस्तार देने से इनकार किया, बल्कि अनुबंध के उल्लंघन और फंड डायवर्जन के आरोप में कंपनी के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई, यह साबित करते हुए कि सरकार केवल बातें नहीं, बल्कि सख्त एक्शन लेने में विश्वास रखती है।
साल 2023 में इस मिशन में और भी तेजी आई। 1 अप्रैल 2023 को कीरतपुर साहिब-नंगल-ऊना रोड पर नक्कियां टोल प्लाजा को बंद करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया कि “राज्य में ‘सड़कों पर किराए’ का युग समाप्त हो गया है”। उन्होंने खुलासा किया कि ऑपरेटर ने सड़क पर बिटुमेन की दूसरी परत बिछाने में 1,093 दिनों की देरी की थी और कंपनी पर 67 करोड़ का जुर्माना बकाया था, जिसे पिछली सरकारें वसूलने में विफल रही थीं। इस एक टोल के बंद होने से ही जनता को रोज़ 10.12 लाख की बचत होने लगी। इसके बाद पटियाला में समाना-पत्रान रोड और अन्य स्थानों पर भी टोल बंद किए गए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकार हर उस कंपनी का हिसाब कर रही है जिसने जनता को लूटा है।



